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यह best hindi story सुनहरे हंसों के घमंड और एक बेसहारा चिड़िया की बुद्धिमानी की कहानी है। हंसों ने चिड़िया को नदी किनारे रहने से मना कर दिया और उसका मजाक उड़ाया। लेकिन चिड़िया ने राजा से शिकायत की, और राजा ने हंसों को नदी छोड़ने का आदेश दिया। अंत में चिड़िया ने नदी किनारे एक नया घर बनाया और दूसरों की मदद की। यह प्रेरक कहानी विनम्रता का संदेश देती है।
सुनहरे हंस नदी के किनारे
कई साल पहले एक राजा के राज्य में एक शांत नदी बहती थी, जिसके किनारे सुनहरे हंस रहते थे। ये हंस दिन का ज्यादातर समय नदी के आसपास बिताते, अपनी चमकदार पंखों को सजाते, और एक-दूसरे के साथ शान से बातें करते। हर छह-सात महीने बाद ये हंस अपने एक सुनहरे पंख को राजकोष में दे देते थे, जो नदी के इस्तेमाल की कीमत थी। राजा के सिपाही आते और इन पंखों को संभालकर ले जाते।
एक दिन एक बेसहारा चिड़िया उधर से गुजरी। नदी की शांति और ठंडी हवा ने उसे आकर्षित किया। उसने सोचा, "यह तो रहने के लिए आदर्श जगह है!" लेकिन जैसे ही उसने नदी के किनारे कदम रखा, हंसों ने उसे घेर लिया और चिल्लाने लगे, "यह हमारी नदी है! हम पंख देकर इसे हासिल करते हैं, तो तू यहां क्या कर रही है? चली जा!"
चिड़िया की विनती और हंसों का तिरस्कार
चिड़िया ने विनम्रता से कहा, "भाइयो, मैं बेसहारा हूँ। कृपया मुझे यहां रहने दो। मैं भी किराया दूंगी।" हंसों ने एक-दूसरे की ओर देखा और ठहाके लगाने लगे। एक हंस बोला, "अरे, तुझे देखो! तेरे पास तो सुनहरे पंख भी नहीं, फिर किराया कैसे देगी? सपने देखना बंद कर और भाग जा!" चिड़िया को अपमानित महसूस हुआ, लेकिन वह चुपचाप चली गई, मन में बदला लेने का इरादा लिए।
चिड़िया का बदला
दुखी चिड़िया राजा के पास गई और बोली, "महाराज, मैंने नदी किनारे शरण मांगी, लेकिन हंसों ने मुझे अपमानित किया। वे सोचते हैं कि नदी उनकी जागीर है।" राजा का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उसने अपने सिपाहियों को आदेश दिया, "इन घमंडी हंसों को कोर्ट में पेश करो!"
जब हंस कोर्ट में आए, राजा ने गंभीर स्वर में कहा, "तुम्हारे पंख राजकोष के लिए जरूरी नहीं हैं, और नदी किसी की संपत्ति नहीं। तुम कैसे तय कर सकते हो कि कौन यहां रह सकता है?" हंस डर गए और आपस में फुसफुसाए, "अब क्या होगा?" राजा ने चेतावनी दी, "या तो नदी छोड़कर चले जाओ, वरना सजा का सामना करो!" हंसों ने तुरंत उड़ान भरी और वहां से भाग गए।
चिड़िया का नया घर
चिड़िया खुश हो गई। उसने नदी के किनारे एक छोटा सा घोंसला बनाया और अब बेसहारा नहीं रही। एक दिन एक और थकी हुई चिड़िया आई और बोली, "मुझे भी शरण चाहिए।" चिड़िया ने मुस्कुराते हुए कहा, "आओ, यहां सबके लिए जगह है।" धीरे-धीरे कई बेसहारा पक्षी वहां आकर बस गए, और नदी किनारा एक खुशहाल आश्रय बन गया।
कहानी का विस्तार
एक दिन राजा स्वयं नदी का दौरा करने आया। उसने चिड़िया की मेहनत और दयालुता देखी। राजा ने कहा, "तुमने सिखाया कि सच्ची शक्ति विनम्रता में है।" चिड़िया ने जवाब दिया, "महाराज, मैंने सिर्फ वही किया जो हंसों ने नहीं किया।" राजा ने वहां एक छोटा सा पार्क बनाने का आदेश दिया, जहां बच्चे और पक्षी दोनों खेल सकें। स्थानीय लोग इसे "शांति वन" कहने लगे, और चिड़िया की कहानी मशहूर हो गई।
सीख
इस हिंदी कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि घमंड कभी भी किसी को लाभ नहीं देता। विनम्रता और दया से ही सच्ची जीत हासिल होती है। बच्चों के लिए यह कहानी दूसरों की मदद करने और अहंकार से बचने का पाठ सिखाती है।
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